बेटियां इसकी या उसकी नहीं सभी की होती हैं। एक बेटी को स्वाबलंबी बनाने से एक समाज स्वाबलंबी होता है। गौरी जैसी बेटी को सीजे डार्सल ने अपनी कंपनी में स्थान देकर कोई ऐहसान नहीं किया है इस बच्ची ने अपनी योग्यता के बल पर स्थान पाया है, ऐसी बेटियों के लिए निष्काम भाव से समर्पित संस्था शिक्षालय साधुवाद की पात्र है। कंपनी ने शिक्षालय को स्पष्ट रूप से कहा है कि ये बच्ची आखिरी नहीं है। आप ऐसी और भी बच्चियां लाए कंपनी के दरवाजे उनके लिए खुले हैं। बेटियां स्वाबलंबी होंगी, तभी देश सिरमौर होगा।
– रोशनलाल गोरखपुरिया (जेएमडी, सीजे डार्सल)